नई दिल्ली, 25 अक्टूबर 2025: दिल्ली की जीवनरेखा कही जाने वाली यमुना नदी अब पहले से कहीं ज्यादा साफ हो रही है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) की नवीनतम Yamuna Pollution Report 2025 में यह खुलासा हुआ है कि नदी के पानी में फीकल कोलीफॉर्म (मानव मल प्रदूषण) का स्तर पिछले वर्ष की तुलना में 90 प्रतिशत से अधिक घटा है।
राजधानी दिल्ली के लोक निर्माण एवं जल मंत्री प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने कहा कि “सिर्फ 7 महीनों में यमुना में प्रदूषण स्तर में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई है। जहां पिछली सरकार घोषणाओं तक सीमित रही, वहीं हमने नतीजे जमीन पर दिखाए हैं।”
🧪 DPCC रिपोर्ट में साफ— अब चार सैंपलिंग पॉइंट सीमा के भीतर
डीपीसीसी की तकनीकी रिपोर्ट के मुताबिक, यमुना के 8 प्रमुख सैंपलिंग पॉइंट्स पर जल गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया गया है। इनमें से चार पॉइंट अब 2500 MPN/100ml की स्वीकृत सीमा के भीतर या उसके करीब हैं।
| स्थान | अक्टूबर 2024 (MPN) | अक्टूबर 2025 (MPN) |
|---|---|---|
| पल्ला | 920 | 600 |
| वजीराबाद | 16,000 | 800 |
| ISBT | 28,000 | 8,000 |
| ITO | 35,000 | 8,000 |
| निजामुद्दीन | 11,00,000 | 7,900 |
| ओखला बैराज | 18,00,000 | 2,700 |
| आगरा कैनाल | 22,00,000 | 1,600 |
| असगरपुर | 80,00,000 | 8,000 |
मंत्री के अनुसार, “इन आंकड़ों से साफ है कि प्रदूषण नियंत्रण के ठोस कदम असर दिखा रहे हैं। यमुना में गिरने वाला बिना शोधन का सीवेज कम हुआ है और जल गुणवत्ता में निरंतर सुधार दर्ज हो रहा है।”
⚙️ कैसे हुआ बदलाव: STP अपग्रेडेशन और रियल-टाइम मॉनिटरिंग से सुधार
सरकार द्वारा पिछले सात महीनों में कई तकनीकी और इंफ्रास्ट्रक्चरल कदम उठाए गए—
- पुराने और नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STP) का अपग्रेडेशन व विस्तार
- यमुना में गिरने वाले बड़े नालों का इंटरसेप्शन
- हर STP की रियल-टाइम मॉनिटरिंग और सख्त अनुपालन प्रणाली
- अब तक 20 लाख मीट्रिक टन गाद (silt) की सफाई, जिससे प्रदूषक जमाव पर नियंत्रण हुआ
वर्मा ने बताया, “यमुना में 400 MGD बिना शोधन का सीवेज जाता था, अब यह अंतर तेजी से घटाया जा रहा है। यह दिखावे की नहीं, नतीजों की राजनीति है। हर मंत्री, सांसद, विधायक और पार्षद घाटों पर जाकर निरीक्षण कर रहे हैं।”
📊 असगरपुर में ऐतिहासिक सुधार – 80 लाख से घटकर 8 हजार MPN तक
रिपोर्ट में सबसे उल्लेखनीय सुधार असगरपुर क्षेत्र में देखा गया है, जहां 2024 में फीकल कोलीफॉर्म स्तर 80,00,000 MPN था, जो अब घटकर मात्र 8,000 रह गया है। मंत्री ने तंज कसते हुए कहा कि, “पूर्व सरकार इस स्थिति पर बात करने से बचती थी, लेकिन आज वही क्षेत्र स्वच्छता की मिसाल बन गया है।”
🌊 पारदर्शिता और जवाबदेही का नया मॉडल
DPCC की सभी रिपोर्ट अब ऑनलाइन सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं, ताकि हर नागरिक खुद डेटा देख सके। सरकार का लक्ष्य है— इंजीनियरिंग आधारित समाधान, रियल-टाइम निगरानी, और जवाबदेही की संस्कृति के साथ यमुना को स्थायी रूप से स्वच्छ बनाना।
वर्मा ने कहा— “हमारा संकल्प केवल सफाई नहीं, बल्कि यमुना को पुनर्जीवित करने का है। दिल्ली के हर नागरिक को इस मिशन में शामिल होना होगा।”
🌱 निष्कर्ष: यमुना की ओर लौटती उम्मीद
डीपीसीसी की यह रिपोर्ट केवल एक तकनीकी दस्तावेज नहीं, बल्कि यमुना के पुनरुद्धार की दिशा में आशा की नई किरण है। अगर यही रफ्तार जारी रही, तो आने वाले वर्षों में दिल्लीवासियों को एक “स्वच्छ, निर्मल और जीवंत यमुना” देखने को मिल सकती है।










