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Population Policy UP: दो संतान मानक को सरकारी सेवा से जोड़ने का प्रस्ताव, विधायक ने सीएम योगी को सौंपी जनसांख्यिकीय नीति

On: October 23, 2025
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Population Policy UP
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लखनऊ (Thu, 23 Oct 2025) – उत्तर प्रदेश में जल्द ही जनसंख्या नियंत्रण और सामाजिक संतुलन पर केंद्रित नई नीति का खाका तैयार हो सकता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सरोजनीनगर से भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने क्षेत्रवार जनसांख्यिकीय नीति (Area-wise Demographic Policy) का विस्तृत प्रस्ताव सौंपा है।
इस प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में संतुलित जनसंख्या वृद्धि, महिला सशक्तीकरण, और सामाजिक समरसता को सुनिश्चित करना बताया गया है।

⚖️ प्रस्ताव की रूपरेखा: संतुलन, शिक्षा और जवाबदेही पर जोर

डॉ. राजेश्वर सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश ने सीएम योगी के नेतृत्व में सुशासन, महिला सुरक्षा और सामाजिक सुधारों के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं।
अब समय है कि “UP Model” को जनसांख्यिकीय संतुलन में भी स्थापित किया जाए।

उन्होंने बताया कि 1951 की जनगणना में हिंदू जनसंख्या 84.4% और मुस्लिम जनसंख्या 14% थी।
वहीं, 2011 की जनगणना में यह अनुपात बदलकर क्रमशः 79.7% और 19.3% हो गया।
कई जिलों में जनसंख्या अनुपात में असंतुलन की स्थिति और अधिक स्पष्ट दिखती है —
जैसे रामपुर (50.6%), संभल (56%), मुरादाबाद (47%), तथा मऊ-आजमगढ़ में यह आँकड़ा करीब 50% तक पहुँच चुका है।

इसी आधार पर प्रस्ताव में जिलों को ग्रीन, अंबर और रेड कैटेगरी में विभाजित करने और प्रत्येक क्षेत्र के अनुसार नीति लागू करने की सिफारिश की गई है।

👨‍👩‍👧‍👦 दो संतान नीति और सरकारी सेवा का संबंध

डॉ. सिंह ने अपने प्रस्ताव में सुझाव दिया है कि “दो संतान के मानक” को सरकारी सेवाओं से जोड़ा जाए
इसके तहत—

  • दो या कम संतान वाले परिवारों को कर, आवास और सरकारी योजनाओं में प्राथमिकता दी जाए,
  • जबकि उच्च प्रजनन दर वाले जिलों में Mission Parivar Vikas 2.0 के तहत
    घर-घर स्वास्थ्य सेवाएं और परिवार नियोजन सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं।

इसके साथ ही, UP Demography Dashboard बनाकर सभी संकेतकों की सार्वजनिक निगरानी (public monitoring) का भी प्रस्ताव रखा गया है।
नीति में बालिकाओं की 12वीं तक शिक्षा को अनिवार्य करने और बेहतर प्रदर्शन करने वाले जिलों को 5% अतिरिक्त विकास अनुदान (development grant) देने की भी सिफारिश की गई है।

🌱 नीति के संभावित प्रभाव

डॉ. सिंह के अनुसार, इस नीति के लागू होने से—

  • संतुलित जनसंख्या संरचना,
  • मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में सुधार,
  • महिला शिक्षा में वृद्धि,
  • अवैध प्रवासन में कमी,
    और सामाजिक एकता को बल मिलेगा।

उन्होंने स्पष्ट किया कि, “यह नीति किसी वर्ग के विरुद्ध नहीं है, बल्कि प्रदेश के संतुलित, शिक्षित और सशक्त भविष्य के लिए है।”

📊 राजनीतिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य

राजनीतिक हलकों में इस प्रस्ताव को लेकर चर्चाएँ तेज हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह नीति लागू होती है तो उत्तर प्रदेश जनसंख्या नीति के राष्ट्रीय मॉडल के रूप में सामने आ सकता है।
वहीं समाजशास्त्रियों का मानना है कि यह पहल महिला सशक्तीकरण और स्वास्थ्य सुधार के क्षेत्र में ठोस कदम साबित हो सकती है, बशर्ते इसे पारदर्शिता और संवेदनशीलता के साथ लागू किया जाए।

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