नई दिल्ली, Fri, 24 Oct 2025 – वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को जीएसटी अधिकारियों को सख्त लेकिन संवेदनशील संदेश दिया। उन्होंने कहा कि ईमानदार करदाताओं के साथ व्यवहार में विनम्रता और सहानुभूति बरतें, ताकि कर प्रणाली के प्रति जनता का भरोसा और मजबूत हो। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि यह नरमी कानून-प्रवर्तन में किसी भी तरह की ढिलाई नहीं मानी जानी चाहिए।
🌐 “ईमानदार करदाता का सम्मान करें, लेकिन गलतियों पर सख्त रहें”
गाजियाबाद में सीजीएसटी भवन के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए वित्त मंत्री ने कहा,
“अगली पीढ़ी का जीएसटी केवल दरों और सरलता तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि करदाताओं को पूरी तरह नया और सम्मानजनक अनुभव मिलना चाहिए।”
सीतारमण ने कहा कि ईमानदार करदाताओं का सम्मान किया जाना चाहिए, जबकि गलत कार्य करने वालों के खिलाफ नियमों के तहत सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को यह भी सलाह दी कि वे सभी करदाताओं को संदेह की दृष्टि से न देखें।
🧾 GST Officers से कहा– “करदाताओं से दीवार नहीं, संवाद रखें”
वित्त मंत्री ने अपने संबोधन में अधिकारियों को याद दिलाया कि विभाग और व्यापारियों के बीच “लोहे की दीवार” नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा,
“आपके और व्यापारी के बीच सिर्फ हवा की एक पतली परत है। आप उनकी दिक्कतों को समझ सकते हैं, उन्हें और उलझाने की जरूरत नहीं।”
सीतारमण ने कहा कि व्यापार सुगमता (Ease of Doing Business) को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्रीय इकाइयों को प्रोएक्टिव अप्रोच अपनानी होगी। इसके लिए तकनीक का अधिकतम उपयोग जरूरी है — चाहे वह शिकायतों के त्वरित समाधान में हो या रजिस्ट्रेशन मंजूरी प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए।
⚖️ अनुशासनात्मक कार्यवाही समय से निपटाने के निर्देश
सीतारमण ने केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के अधिकारियों को अनुशासनात्मक कार्यवाहियों को लंबित न रखने की सख्त हिदायत दी। उन्होंने कहा कि अगर किसी अधिकारी के खिलाफ जांच या अनुशासनिक प्रक्रिया चल रही है, तो उसे तय समय सीमा में पूरा किया जाए, ताकि प्रशासनिक पारदर्शिता बनी रहे।
📊 अधूरे पड़े GST मामलों को जल्द सुलझाने का आग्रह
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि अधूरे पड़े जीएसटी जांच मामलों का जल्द और ठोस साक्ष्यों के आधार पर निपटारा किया जाए। उन्होंने कहा कि इससे न केवल अनावश्यक मुकदमेबाजी कम होगी, बल्कि प्रणाली में पारदर्शिता और भरोसा भी बढ़ेगा।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि “सरकार का मकसद कर संग्रह बढ़ाना जरूर है, लेकिन यह करदाताओं के अधिकारों का सम्मान करते हुए होना चाहिए।”
🧭 मानवीय दृष्टिकोण पर जोर
सीतारमण ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि राजस्व प्रशासन में मानवीय संवेदना सबसे बड़ी ताकत है। कर प्रणाली तभी मजबूत होगी जब अधिकारी जनता से संवाद में विश्वास और सहजता पैदा करेंगे।








