नई दिल्ली (Thu, 23 Oct 2025) – केंद्र सरकार ने भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी है। मौजूदा सीजेआई बी.आर. गवई 23 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत देश के अगले मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में कार्यभार संभालेंगे।
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया से वाकिफ सूत्रों के अनुसार, कानून मंत्रालय गुरुवार शाम या शुक्रवार तक वर्तमान सीजेआई को औपचारिक पत्र भेजेगा, जिसमें उनसे उनके उत्तराधिकारी के नाम की औपचारिक सिफारिश (recommendation) मांगी जाएगी।
🏛️ कैसे होती है CJI की नियुक्ति?
भारत में मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की प्रक्रिया “Memorandum of Procedure (MoP)” के तहत तय होती है।
इस दस्तावेज़ में स्पष्ट किया गया है कि —
“भारत के मुख्य न्यायाधीश का पद सर्वोच्च न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को दिया जाना चाहिए, जिन्हें उस पद के लिए उपयुक्त माना जाए।”
परंपरा के अनुसार, केंद्रीय कानून मंत्री वर्तमान सीजेआई से उनके उत्तराधिकारी का नाम सेवानिवृत्ति से लगभग एक महीने पहले मांगते हैं। यह पत्र संवैधानिक परंपरा का हिस्सा है और न्यायपालिका की निरंतरता सुनिश्चित करने का औपचारिक तरीका माना जाता है।
👨⚖️ कब से कब तक रहेगा जस्टिस सूर्यकांत का कार्यकाल
सूत्रों के अनुसार, प्रक्रिया पूरी होने के बाद जस्टिस सूर्यकांत 24 नवंबर 2025 को भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे।
उनका कार्यकाल 9 फरवरी 2027 तक रहेगा — यानी वे लगभग 15 महीने तक देश के सर्वोच्च न्यायिक पद पर रहेंगे।
📚 जस्टिस सूर्यकांत: न्यायपालिका में एक सशक्त और स्पष्ट आवाज़
हरियाणा से आने वाले जस्टिस सूर्यकांत को न्यायिक क्षेत्र में उनकी स्पष्टता, संवेदनशील दृष्टिकोण और प्रशासनिक दक्षता के लिए जाना जाता है।
उन्होंने अपने करियर की शुरुआत पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से की थी, जहाँ वे बाद में मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) भी बने।
सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण निर्णयों में योगदान दिया, जिनमें पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा, मानवाधिकार और प्रशासनिक पारदर्शिता से जुड़े मुद्दे शामिल रहे।
🔍 क्यों महत्वपूर्ण है यह नियुक्ति
नए सीजेआई की नियुक्ति का दौर न केवल न्यायपालिका की दिशा तय करता है, बल्कि आने वाले वर्षों की संवैधानिक प्राथमिकताओं और सुधारों पर भी प्रभाव डालता है।
जस्टिस सूर्यकांत का कार्यकाल कई संवेदनशील मुकदमों और न्यायिक सुधारों का गवाह हो सकता है, जिनमें केस मैनेजमेंट सिस्टम, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित न्यायिक प्रक्रियाएं, और निचली अदालतों में लंबित मामलों के समाधान जैसे विषय प्रमुख रहेंगे।









