मथुरा (बुधवार, 22 अक्टूबर 2025) — दीपावली के बाद ब्रजभूमि एक बार फिर कृष्णभक्ति में रंगी दिखाई दी। Govardhan Puja 2025 के अवसर पर मथुरा और गोवर्धन में श्रद्धा का ऐसा सागर उमड़ा कि पूरा क्षेत्र “राधे-राधे” और “हरे कृष्ण” के जयघोष से गूंज उठा। सुबह की पहली किरण के साथ ही गिरिराज पर्वत की तलहटी में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा।
देश-विदेश से आए लाखों श्रद्धालु पारंपरिक वेशभूषा में गिरिराज जी की परिक्रमा करते दिखे। परिक्रमा मार्ग पर भजन-कीर्तन, ढोल-नगाड़ों की थाप और हरिनाम संकीर्तन की लय ने ऐसा भक्तिमय वातावरण रच दिया कि हर कोई स्वयं को कृष्णमय महसूस करने लगा। फूलों से सजी झांकियां और रासलीला के दृश्य पूरे मार्ग को एक जीवंत तीर्थ में बदल रहे थे।
इस वर्ष अन्नकूट महोत्सव की भव्यता देखते ही बनती थी। इस्कॉन मंदिर के संतों ने परंपरानुसार “छप्पन भोग” अर्पित कर गिरिराज महाराज की आराधना की। संतों के सिर पर सजे 56 प्रकार के व्यंजन जब गिरिराज जी के चरणों में अर्पित हुए, तो वहां उपस्थित हर व्यक्ति की आंखें भक्ति से नम हो उठीं।
गोवर्धन पूजा का महत्व वही पौराणिक कथा दोहराता है जब श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव के घमंड को शांत करते हुए ब्रजवासियों की रक्षा के लिए अपनी कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया था। तब से यह पर्व केवल पूजा नहीं, बल्कि श्रद्धा, सुरक्षा और समर्पण का प्रतीक बन गया है।
स्थानीय प्रशासन ने भी इस बार की भारी भीड़ को देखते हुए चाक-चौबंद इंतजाम किए थे। पुलिस, PAC, स्वयंसेवक और स्वास्थ्यकर्मी हर जगह मुस्तैद रहे ताकि किसी भक्त को कोई असुविधा न हो। परिक्रमा मार्ग पर जगह-जगह भंडारे, जलसेवा और कीर्तन मंडलियां व्यवस्था संभाले हुए थीं।
शाम के समय गिरिराज तलहटी दीपों की झिलमिलाहट से दमक उठी। हर भक्त के मुख से निकली बस एक ही प्रार्थना सुनाई दी — “गिरिराज जी की कृपा बनी रहे, जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आए।”









