नई दिल्ली, 04 नवम्बर 2025 (मंगलवार) – भारत की अर्थव्यवस्था पर आज एक बड़े आत्मविश्वास के साथ टिप्पणी करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दावा किया कि पिछले कुछ वर्षों में केंद्र सरकार ने 2.5 करोड़ लोगों को घोर गरीबी (extreme poverty) से बाहर निकालने में सफलता हासिल की है। यह बयान उन्होंने दिल्ली के प्रतिष्ठित Delhi School of Economics में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान दिया।
सीतारमण का यह दावा ऐसे समय में आया है जब अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान लगातार भारत को दुनिया की तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में गिन रहे हैं। कार्यक्रम में मौजूद छात्रों और शिक्षकों से मुखातिब होते हुए उन्होंने कहा,
“भारत आज अपने आर्थिक सुधारों के दम पर मजबूती से खड़ा है। 2014 में हम दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थे, लेकिन आज हम पाँचवें पायदान पर पहुँच चुके हैं, और बहुत जल्द तीसरे स्थान पर आने की राह पर हैं।”
Poverty Reduction: सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि
मुख्य कीवर्ड: poverty reduction
वित्त मंत्री ने खासतौर पर गरीबी उन्मूलन का जिक्र करते हुए बताया कि बीते एक दशक में सरकार ने बहुआयामी गरीबी (multidimensional poverty) से जूझ रहे 2.5 करोड़ नागरिकों को मुख्यधारा के जीवन में लाने के लिए ठोस कदम उठाए।
यह ‘poverty reduction’ न सिर्फ खाद्य सुरक्षा या प्रत्यक्ष फायदे तक सीमित है, बल्कि इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और वित्तीय समावेशन जैसे कई आयाम भी शामिल हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि यह कोई सांकेतिक सफलता नहीं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक सुधारों का मूर्त परिणाम है—जिसका असर आने वाले वर्षों में और गहरा दिखाई देगा।
बैंकिंग सेक्टर में सुधार की गाथा
सीतारमण ने यह भी स्पष्ट किया कि बीते सात-आठ वर्षों में बैंकिंग सेक्टर की बैलेंस शीट में जबरदस्त सुधार हुआ है। कभी दोहरी बैलेंस शीट (Double Balance Sheet Problem) की वजह से जूझ रहे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक आज स्थिति से कहीं बेहतर जगह पर खड़े हैं।
“आज बैंक न सिर्फ मुनाफ़ा कमा रहे हैं, बल्कि ऋण देने की क्षमता और ग्राहक विश्वास दोनों ही स्तरों पर बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं,” उन्होंने कहा।
राजकोषीय घाटा: लक्ष्य पर कायम सरकार
सरकार के वित्तीय अनुशासन पर बात करते हुए वित्त मंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार वित्त वर्ष 2025-26 के लिए तय किए गए 4.4% राजकोषीय घाटा लक्ष्य को पूरा करेगी।
उन्होंने कहा, “हम प्रतिबद्ध हैं कि आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ राजकोषीय अनुशासन भी कायम रहे। हमारा बजट इस दिशा में सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है।”
भारत का भविष्य उज्ज्वल
कार्यक्रम के अंत में वित्त मंत्री से जब पूछा गया कि आने वाले वर्षों में भारत की दिशा क्या होगी, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया,
“भारत का समय आ चुका है। आने वाला दशक हमारी आर्थिक और सामाजिक ताकत की कहानी लिखने वाला है।”
यह खबर न केवल सरकारी दावों को सामने रखती है, बल्कि poverty reduction के मुद्दे पर वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा को भी पुख्ता करती है। ऐसे समय में, जब पूरी दुनिया आर्थिक अनिश्चितता से गुजर रही है, भारत का यह दावा—कि उसने करोड़ों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है—एक उम्मीद की किरण के रूप में सामने आता है।










