नई दिल्ली, 25 अक्टूबर 2025: आस्था और सूर्योपासना का महापर्व Chhath Puja 2025 देशभर में श्रद्धा और उल्लास के साथ शुरू हो गया है। नहाय-खाय के पावन अनुष्ठान के साथ शनिवार से चार दिनों तक चलने वाला यह पर्व न केवल बिहार और उत्तर प्रदेश में, बल्कि पूरे विश्व में भारतीयों के बीच गहरी आस्था के साथ मनाया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं और सभी व्रतियों को नमन किया। पीएम मोदी ने कहा— “नहाय-खाय के पावन अनुष्ठान के साथ आज से चार दिवसीय महापर्व छठ का शुभारंभ हो रहा है। बिहार सहित देशभर के श्रद्धालुओं को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं। सभी व्रतियों को मेरा नमन और वंदन।”
🌞 “Chhath Puja सादगी और संयम का प्रतीक है” — पीएम मोदी
प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर अपने संदेश में लिखा कि छठ पूजा हमारी संस्कृति का विराट उत्सव है, जो सादगी, संयम और आत्मानुशासन का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि छठ घाटों पर दिखने वाले दृश्य पारिवारिक और सामाजिक एकता की मिसाल हैं, जो समाज को आपसी सौहार्द और सहयोग की प्रेरणा देते हैं।
पीएम मोदी ने आगे लिखा— “छठ की प्राचीन परंपरा का हमारे समाज पर गहरा प्रभाव रहा है। आज दुनिया के कोने-कोने में इसे संस्कृति के महाउत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। मेरी कामना है कि छठी मइया सब पर कृपा करें और सबका जीवन खुशहाल बनाएं।”
🎶 छठ के गीतों में झलकता है प्रकृति और भक्ति का संगम
प्रधानमंत्री ने अपने पोस्ट में यह भी लिखा कि छठ के गीतों और सुरों में भक्ति और प्रकृति के प्रति प्रेम का अनूठा भाव होता है। उन्होंने कहा— “आज मैं आप सभी के साथ छठी मइया के ऐसे गीत साझा कर रहा हूं, जिन्हें सुनकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाएगा।”
🪔 सीएम नीतीश कुमार ने भी दी शुभकामनाएं
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी एक्स पर पोस्ट करते हुए छठ पर्व की बधाई दी। उन्होंने लिखा— “लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ के अवसर पर प्रदेश एवं देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। यह आत्मानुशासन का पर्व है, जिसमें लोग निर्मल मन से अस्ताचल और उदीयमान भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं।”
नीतीश कुमार ने राज्य की प्रगति, सुख, शांति और समृद्धि के लिए भगवान भास्कर से आशीर्वाद की कामना की।
🌅 आस्था, उपासना और प्रकृति का अनूठा संगम
छठ महापर्व भारतीय जीवनशैली में आस्था, प्रकृति प्रेम और अनुशासन का सुंदर संगम माना जाता है। इसमें व्रती महिलाएं चार दिनों तक विशेष नियमों का पालन करते हुए अस्ताचलगामी और उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देती हैं। इस दौरान प्रसाद में शामिल ठेकुआ, गुड़, और गन्ने जैसे तत्व प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक माने जाते हैं।









