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महिलाएं बनीं भारत की विकास यात्रा की धुरी, राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा—‘Women Empowerment in India’ से बदलेगा देश का भविष्य

On: October 24, 2025
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महिलाएं बनीं भारत की विकास यात्रा की धुरी, राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा—‘Women Empowerment in India’
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कोच्चि (Fri, 24 Oct 2025) – राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को कोच्चि के सेंट टेरेसा कॉलेज के शताब्दी समारोह में कहा कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने का सपना तभी साकार होगा, जब महिलाएं उस परिवर्तन की असली सहभागी बनेंगी। उन्होंने इस दौरान केरल को लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण का जीवंत उदाहरण बताते हुए कहा कि “Women Empowerment in India अब केवल नारा नहीं, बल्कि भारत की प्रगति की प्रेरक शक्ति बन चुका है।”

महिलाओं की भागीदारी: भारत की सबसे बड़ी ताकत

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि बीते एक दशक में देश में महिलाओं की भागीदारी के क्षेत्र में उल्लेखनीय बदलाव आया है। जेंडर बजट आवंटन में 4.5 गुना वृद्धि हुई है, वहीं महिला-नेतृत्व वाले MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) की संख्या 2011 से 2024 के बीच लगभग दोगुनी हो गई है।
उन्होंने कहा, “विकसित भारत 2047 का एक मजबूत स्तंभ है—महिलाओं की 70 प्रतिशत कार्यबल में भागीदारी। आज हर सामाजिक और आर्थिक वर्ग की महिलाएं भारत की प्रगति की धुरी बन चुकी हैं।”

केरल का उदाहरण और संवैधानिक योगदान

राष्ट्रपति ने कहा कि केरल न केवल शिक्षा और स्वास्थ्य में आगे है, बल्कि लैंगिक समानता का मानक भी स्थापित कर चुका है। उन्होंने याद दिलाया कि स्वतंत्रता से पहले भी केरल की महिलाओं ने संविधान निर्माण में अपनी अमिट छाप छोड़ी थी।
अम्मू स्वामीनाथन, एनी मास्करेन और दक्षायनी वेलायुधन—ये तीनों उस समय संविधान सभा की 15 महिला सदस्यों में शामिल थीं जिन्होंने मौलिक अधिकारों और सामाजिक न्याय पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
राष्ट्रपति ने मुस्कराते हुए कहा, “आज यह देखकर गर्व होता है कि अम्मू स्वामीनाथन का वह सपना सच हो रहा है, जब महिलाएं राष्ट्र-निर्माण में बराबर की जिम्मेदारी निभा रही हैं।”

न्यायपालिका से प्रेरणा: इतिहास की पहली महिला जज

राष्ट्रपति ने केरल की उन महिलाओं को भी याद किया जिन्होंने भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में नई राहें खोलीं। उन्होंने कहा,
न्यायमूर्ति अन्ना चांडी भारत की पहली महिला हाई कोर्ट जज थीं, और न्यायमूर्ति एम. फातिमा बीवी ने 1989 में सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज बनकर इतिहास रचा। ये नाम आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे।”

शिक्षा और सामाजिक चेतना का संगम

राष्ट्रपति मुर्मू ने सेंट टेरेसा कॉलेज को “युवा, जीवंत और उभरते भारत का प्रतीक” बताते हुए उसकी सामुदायिक पहलों की सराहना की।
उन्होंने कहा, “कॉलेज की छात्राओं ने बाढ़ राहत शिविरों में जिस निस्वार्थ भाव से सेवा की, वह सच्चे अर्थों में ‘Women Empowerment in India’ का परिचायक है।”
राष्ट्रपति ने कॉलेज के ‘SLATE’ (Sustainability, Leadership and Agency Through Education) प्रोजेक्ट की भी तारीफ की, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्यों को आगे बढ़ा रहा है।
साथ ही, उन्होंने कॉलेज के सामुदायिक रेडियो ‘Radio Kochi 90 FM’ की भी प्रशंसा की, जो शिक्षा और जनसंपर्क का नया मॉडल बन चुका है।

युवतियों के लिए राष्ट्रपति का संदेश

अपने संबोधन के अंत में राष्ट्रपति मुर्मू ने छात्राओं से कहा,

“अपने फैसले साहस और स्पष्टता से लें। वही रास्ता चुनें जो आपके जुनून और क्षमता को जीवंत करे। याद रखें, महिला नेतृत्व वाला समाज न केवल अधिक मानवीय होता है, बल्कि अधिक प्रभावी भी।”

उन्होंने भरोसा जताया कि आने वाले वर्षों में भारतीय महिलाएं न केवल अपने सपनों को, बल्कि भारत के विकास के सपने को भी साकार करेंगी।

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