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लखनऊ में साइबर हेल्पलाइन 1930 कॉल सेंटर की शुरुआत, डीजीपी राजीव कृष्णा ने किया उद्घाटन

On: July 31, 2025
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लखनऊ, 31 जुलाई। उत्तर प्रदेश में साइबर अपराधों की बढ़ती घटनाओं पर लगाम कसने के लिए एक और अहम कदम उठाया गया है। डीजीपी राजीव कृष्णा ने बुधवार को लखनऊ के पश्चिम कल्ली स्थित डीसीपी साउथ ऑफिस परिसर में राष्ट्रीय साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 के नए कॉल सेंटर का उद्घाटन किया।

यह नया कॉल सेंटर राजधानी लखनऊ में स्थापित किया गया है और इसका उद्देश्य साइबर ठगी के मामलों में तेजी से कार्रवाई सुनिश्चित करना है। कुल 30 सीटों वाले इस कॉल सेंटर की शुरुआत के साथ ही इसकी कार्यक्षमता सामने आ गई—उद्घाटन के दिन ही इसे करीब 6700 कॉल्स प्राप्त हुईं।

1930 पर कॉल कर बचा सकते हैं अपनी रकम

उद्घाटन के अवसर पर डीजीपी ने बताया कि अब यदि कोई व्यक्ति साइबर ठगी का शिकार होता है, तो 1930 पर तत्काल कॉल करके उसकी रकम को अपराधियों के खाते में ट्रांसफर होने से पहले फ्रीज कराया जा सकता है।
उन्होंने कहा, “यह कॉल सेंटर 24 घंटे सातों दिन काम करेगा और इसे भविष्य में और भी बड़ा किया जाएगा। हमने पहले 14 सीटों से शुरुआत की थी, फिर 20 और अब इसे 50 सीटों तक विस्तार दिया जाएगा।”

राज्य के हर थाने पर साइबर हेल्प डेस्क

एडीजी साइबर क्राइम बीके सिंह ने जानकारी दी कि अब राज्य के सभी 2112 थानों पर ‘फर्स्ट रिस्पॉन्डर साइबर हेल्प डेस्क’ मौजूद रहेगी। उन्होंने कहा कि अब जिले स्तर के साइबर थानों में भी ₹2 लाख तक के नुकसान की रिपोर्ट सीधे दर्ज की जा सकेगी।

साइबर अपराध से निपटने के लिए प्रदेश भर में पुलिसकर्मियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अब तक 15 पुलिस अधिकारी ‘साइबर कमांडो’ प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं, जिन्हें विभिन्न जिलों में तैनात किया जा रहा है। ये कमांडो क्रिप्टोकरेंसी, डार्क वेब और अन्य जटिल तकनीकी अपराधों की जांच करेंगे।

एक महीने में लौटाए 15 करोड़ रुपए

राज्य पुलिस की सक्रियता का असर दिखने लगा है। डीजीपी ने बताया कि पिछले एक महीने में साइबर ठगी के शिकार नागरिकों को करीब ₹15 करोड़ की राशि वापस दिलवाई गई है।
उन्होंने “गोल्डन आवर” की अहमियत पर जोर देते हुए कहा कि अगर ठगी के तुरंत बाद 1930 पर संपर्क किया जाए, तो राशि को रियल टाइम में ब्लॉक या फ्रीज करना संभव हो जाता है

जागरूकता और तकनीकी मजबूती पर ज़ोर

कोविड-19 के बाद डिजिटल लेनदेन और ऑनलाइन गतिविधियों में तेज़ी से वृद्धि हुई है, जिसके चलते साइबर ठगी के मामले भी बढ़े हैं। ऐसे में पुलिस प्रशासन योजनाबद्ध साइबर जागरूकता अभियान चला रहा है ताकि आम लोग सतर्क रहें और साइबर धोखाधड़ी से बच सकें।

पिछले वर्ष प्रदेश पुलिस को कुल 3.74 लाख साइबर फ्रॉड कॉल्स प्राप्त हुई थीं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि समस्या कितनी बड़ी है। लेकिन अब इस चुनौती से निपटने के लिए यूपी पुलिस संरचना, संसाधन और सजगता—तीनों मोर्चों पर पूरी तरह तैयार है।

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